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सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
राहुल के समर्थन में उतरी कांग्रेस के साथ साथ आप भी जानें विरोध का रंग काला क्यों है?
अडानी मामले को लेकर जेपीसी की मांग और राहुल गांधी की अयोग्यता के विरोध में काला कपड़ा पहनकर संसद पहुंचे खड़गे और संपूर्ण विपक्ष ने तो अपनी बातें कह दीं आइये कांग्रेस और राहुल गांधी की पृष्ठभूमि में समझें कि विरोध प्रदर्शनों में काले रंग की भूमिका और प्रासंगिकता क्या है?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
नड्डा का एक्सटेंशन उनके प्रति मोदी-शाह के भरोसे की कमी का संकेत है
जेपी नड्डा (JP Nadda) को एक और कार्यकाल काम करने (BJP President) का मौका भी दिया जा सकता था, लेकिन मोदी-शाह (Modi-Shah) की नेतृत्व वाली बीजेपी कार्यकारिणी ने सिर्फ साल भर का एक्सटेंशन मिला है - आगे सब इस बात पर निर्भर करता है कि 10 में से कितने मार्क्स मिलते है?
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
Ritik Rajput
@898764348148408
तमिलनाडु में भविष्य को साधने के लिए अन्नामलाई के जरिये बीजेपी ने दिलचस्प फैसला लिया है!
बीजेपी ने तमिलनाडु में के अन्नामलाई को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पार्टी द्वारा लिए गए इस फैसले ने तमिलनाडु की राजनीति को समझने वाले तमाम लोगों को हैरत में डाल दिया है. तमिलनाडु में बीजेपी बखूबी जानती है कि अगर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो लोकल लेवल पर युवा नेताओं को मौका देना होगा.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
खड़गे जी की ज़ुबान जब भी फिसलती है, कुत्ते पर आकरअटकती है!
निश्चित ही खुन्नस है कुत्ते से, तभी तो रिपीट दर रिपीट कर देते हैं. पिछली बार 'पिटाई' (पलटवार) भी हुई थी और एक बार फिर हो जाएगी, 'मत चूको चौहान' वाली कहावत चरितार्थ करने का पल आने भर की देर है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
रमेश सर्राफ धमोरा
@ramesh.sarraf.9
तो क्या राजस्थान में उपचुनाव के संघर्ष में बुरी तरह फंस चुकी है भाजपा?
राजस्थान में उपचुनाव में तमाम भाजपा प्रत्याशी कड़े त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हुए नजर आ रहे हैं. सवालों के घेरे में सतीश पूनिया हैं. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद लगातार चुनाव में हारने के कारण सतीश पूनिया की छवि एक हारने वाले प्रदेश अध्यक्ष की बन चुकी है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
कांग्रेस में हार के बाद शशि थरूर का मालिक अब अल्लाह ही क्यों है?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे से मुंह की खाने के बाद शशि थरूर पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. सवाल ये है कि, क्या नतीजों के बाद पार्टी में थरूर उसी स्थिति में रहेंगे जो चुनावों से पहले थी?
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव, खड़गे की जीत फिक्स थी!
नतीजों से पहले ही खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बता कर राहुल ने साबित किया कि कांग्रेस पार्टी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव फॉर्मेलिटी से ज्यादा कुछ नहीं है. कांग्रेस पार्टी में जो होगा उनकी और सोनिया गांधी की मर्जी से ही होगा.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
शशि थरूर जैसा यूएनओ में बोलते थे, उस अदा पर पाकिस्तान की महिलाएं भी फिदा रहती थी...
शशि थरूर ब्राह्मण समाज से है.अपने प्रतिभा के बल पर यूएनओ में भारत को 3 बार रिप्रेजेंट किया है. शशि थरूर को मलयालम के साथ इंग्लिश और हिंदी आती है. संभवतः संस्कृत नही आती है,लेकिन आवाज में आकर्षण है. अब देखना है जीत किसकी होती है?
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
नौबत कहीं ऐसी ना आ जाए, खड़गे निर्विरोध चुन लिए जाएं?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव होने हैं. ऐसा लगता है अध्यक्ष किसे बनाना है, इसकी पटकथा पहले से ही लिखकर रख दी गई है. जो हो रहा है वो रामलीला के मंचन जैसा है. खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मतलब है, कमान अप्रत्यक्ष रूप से गांधी परिवार के ही पास रहेगी. वोटिंग 17 तारीख को होनी है, लेकिन उसके आतेआते परिणाम शायद पहले ही घोषित हो जाएं, वोटिंग की नौबत ही ना आए.